लड़की की अन्तर्वासना कहानी में पढ़ें कि मैं पढ़ाई के लिए कनाडा गया. पड़ोस के अंकल की बेटी भी वहीं रहती थी. मैं उसके पास ही रुका. वो मुझसे कैसे चुदी?
मेरा नाम सुनील है. आप सबका लड़की की अन्तर्वासना कहानी में स्वागत है. मेरी उम्र 22 साल की है. ये बात तब की है जब मैंने अपनी 12वीं कक्षा पास की थी।
उसके बाद मैंने विदेश में पढ़ाई के लिए बाहर जाने की सोची. मैंने आई.ई.एल.टी.एस. का एग्जाम दिया. मैंने वो एग्जाम पास कर लिया.
बाद में मैंने कैनेडा जाने का सोचा. तभी मेरे पापा ने मुझे कहा कि हमारे पड़ोस वाले अंकल की लड़की भी वहीं पर पढ़ती है.
मैंने कहा- हां, मुझे पता है।
पापा- तो मैं कल माथुर साहब से बात कर लेता हूं तुझे वहां भेजने के लिए!
मैं तैयार हो गया क्यूंकि मुझे वहीं जाकर पढ़ना था.
पापा ने माथुर अंकल से बात कर ली.
बाद में उन्होंने मुझसे कहा- तुझे माथुर अंकल बुला रहे हैं.
कहते ही मैं अंकल के पास गया. मैं बहुत उत्साहित था.
उन्होंने मुझे बैठने के लिये कहा.
मैं उनके पास बैठ गया.
फिर उन्होंने मुझे वो सारी जानकारी दी कि वहां जाकर कैसे, कहां और क्या करना है।
मैंने उनकी सारी बातें ध्यान से सुनीं.
फिर मैंने उनको शुक्रिया बोला और चल दिया.
उन्होंने मुझे अपनी बेटी का मोबाइल नंबर दिया और कहा कि कुछ पूछना हो तो अपनी दीदी से पूछ लेना.
उसके बाद मैं उनकी बेटी के पास फोन पर बात करने लगा.
उसने मुझे वहां के बारे में बहुत कुछ बताया और कई सारी सलाह दीं।
एक महीने के बाद मेरे जाने का समय हो गया था.
पूरा परिवार मुझे एयरपोर्ट छोड़ने आया था. मैंने सबको बाय बोला और सब लोग भावुक हो गये.
फिर मैं अपनी फ्लाइट की ओर चला गया. मेरी फ्लाइट का समय हो गया था और मैं प्लेन में बैठ गया.
अगले दिन मैं कैनेडा पहुंच गया. मेरी दीदी वहां पर मुझे पिक करने के लिए आई हुई थी; वो मुझे एयरपोर्ट के बाहर खड़ी मिली.
उसने मुझे आवाज दी और हम दोनों गले मिले.
वो 26 साल की एक जवान और बहुत ही हॉट दिखने वाली लड़की थी. उसके बूब्स मध्यम साइज के थे मगर बहुत ही कसे हुए थे. उसकी गांड भी काफी सेक्सी थी.
उसके बाल गहरे भूरे रंग के थे. उस दिन वो एक शॉर्ट स्कर्ट पहन कर आई थी.
वो मुझे टैक्सी में बिठाकर अपने घर ले गयी. वो पांच साल से यहां पर रह रही थी.
पहले उसने यहां रहकर पढ़ाई की और उसके बाद यहीं पर जॉब भी करने लगी थी.
उसके पास अपना खुद का घर भी था और कार भी।
फिर उसने मुझे अपना घर दिखाया.
फिर वो मुझे मेरे रूम में ले गयी और कहा कि अब से तुम यहीं पर रहोगे.
अभी तक मैं उसके साथ सेक्स करने के बारे में नहीं सोच रहा था.
लेकिन उसके जिस्म को देखकर नजर तो चली ही जाती थी जो एक स्वाभाविक सी बात थी।
मैं मेडीकल की पढ़ाई कर रहा था और रोज सुबह उठकर मुझे कॉलेज जाना होता था.
मेरी दीदी बैंक में मैनेजर थी. उनको काफी अच्छी सैलरी मिलती थी.
अपनी जॉब के कारण वो पूरा दिन घर के बाहर ही रहती थी. मैं अपना कॉलेज खत्म होने के बाद सीधा घर पर आ जाता था. मैं आकर खाना खाकर कुछ देर पढ़ता था और फिर सो जाता था.
मेरी दीदी रात को बहुत देर से आती थी और वो बहुत थक जाती थी. मैं उनके कंधे और पैर दबा दिया करता था. उन्हें मुझसे मसाज करवाना अच्छा लगता था.
वो अपने रूम में देर रात तक काम करती थी. कभी मैं रात को जागता तो उनके रूम की लाइट जल रही होती थी. मैं समझ जाता था कि दीदी काम कर रही है.
ऐसे ही दिन गुजर रहे थे और मैं अपने कॉलेज के फाइनल इयर में आ गया.
एक रात में मैं पढ़ाई कर रहा था कि तभी मेरी दीदी के रूम में से अजीब सी आवाज़ें मुझे सुनाई दीं.
मैंने सोचा कि कहीं दीदी को कुछ हो तो नहीं गया है?
मैं देखने के लिए उनके रूम में गया तो उनके रूम का दरवाजा खुला हुआ था.
मैंने देखा कि उनके रूम का टीवी चालू था और वो पलंग पर लेटी हुई अपने पैरों के बीच में अपने हाथ से कुछ कर रही थी.
फिर देखा कि टीवी पर तो ब्लू फिल्म चल रही थी. दीदी अपनी चूत में हस्तमैथुन कर रही थी.
ये लड़की की अन्तर्वासना देखकर मैं सहम सा गया और मेरा हाथ दरवाजे पर जा लगा तो दीदी ने मुझे देख लिया.
मैं वहां से भाग आया और अपने रूम में आकर सोने का नाटक करने लगा.
थोड़ी देर बाद मेरी दीदी मेरे रूम मे आयी.
उन्होंने मुझे उठाया और पूछा- क्या कर रहा था तू मेरे रूम में?
मैंने कहा- दीदी, मैं तो अपने रूम में कब से सोया हुआ हूं. मैं नहीं गया आपके रूम में।
वो बोली- झूठ मत बोल. मैंने तुझे देख लिया था।
मैंने कहा- दीदी मैं तो ये देखने गया था कि कहीं आपकी तबियत तो खराब नहीं है, क्योंकि आप अजीब सी आवाजें कर रही थी.
फिर वो ये बात सुनकर थोड़ी शर्मिंदा हुई और बोली- ठीक है, मगर ये बात किसी को कहना नहीं कि तूने मुझे ये सब करते हुए देखा है.
मैंने कहा- ठीक है दीदी, मैं किसी को नहीं कहूंगा.
उसने मुझे गले से लगा लिया और मुझे किस करके कहा- तू मेरा सच्चा भाई है.
फिर वो अपने रूम में चली गयी और मैं भी सो गया.
उस दिन के बाद मुझे वो कभी अपनी चूत में उंगली करती हुई नहीं दिखी.
शायद उसको डर रहता था कि कहीं मैं दोबारा से उसको देख न लूं और उसके घरवालों को इस बारे में बोल दूं कि उनकी बेटी अभी से ये सब करने लगी है.
आजकल वो कुछ उदास सी रहने लगी थी.
शायद उसको हस्तमैथुन करने की आदत लग चुकी थी और अब वो ऐसा कुछ कर नहीं पा रही थी.
महीने भर के बाद एक रात को फिर से मुझे वही आवाजें सुनी.
मैंने उठकर देखा तो दीदी फिर से अपनी चूत में उंगली करके मजा ले रही थी.
इस बार मैंने उनसे बात करने की सोच ली.
मैंने सीधा उनके पास गया और बोला- दीदी, आज आप फिर से वही कर रहे हो?
वो बोली- तो क्या करूं मैं यार? मेरी सारी फ्रेंड्स अपने बॉयफ्रेंड्स के साथ मजे करती हैं. मेरा अभी तक कोई बॉयफ्रेंड नहीं बना है. मेरा भी मन करता है सेक्स करने का. मुझसे रुका नहीं जाता इसलिए मैं हाथ से कर लेती हूं.
ये बोलकर वो कुछ उदास हो गयी.
मैंने कहा- सॉरी दीदी, आप कर लो जो करना चाहती हो.
वो बोली- हां, ये जो पुस्सी होती है इसमें लंड की जरूरत होती है. मेरा भी मन करता है कि मैं भी अपनी दोस्तों की तरह लंड चूसूं और अपनी पुस्सी में किसी का लंड लूं.
मैंने कहा- ठीक है, मैं आपके लिए एक अच्छा बॉयफ्रेंड ढूंढकर लाऊंगा.
वो बोली- नहीं, रहने दे, मैं इतनी खूबसूरत नहीं हूं कि यहां के गोरे लड़के मुझसे दोस्ती करेंगे.
मैंने कहा- मगर मुझे तो बहुत सुंदर और सेक्सी लगती हो तुम!
उसने मुझे अजीब सी नजरों से देखा और फिर नीचे देखते हुए बोली- तुम्हारे कहने से क्या होता है, तुम मेरे बॉयफ्रेंड तो नहीं बन सकते ना? हम दोनों तो भाई बहन के जैसे रहते हैं.
ये बात सुनकर मैं सोच में पड़ गया और मैंने अपनी टीशर्ट खोलनी शुरू कर दी. फिर मैंने अपनी शॉर्ट पैंट भी उतार दी और दीदी के सामने अंडरवियर में खड़ा हो गया.
दीदी की चूत देखकर मेरा लंड पहले से ही खड़ा हुआ था जो मेरे अंडरवियर में पता चल रहा था.
मैंने दीदी को बोला- देखो, क्या आपको ऐसा ही लड़का चाहिए था?
उसने मेरी तरफ देखा. फिर मेरे पूरे बदन को देखा और दीदी की नजर मेरे अंडरवियर पर जाकर ठहर गयी.
मेरे लंड को देखकर दीदी के चेहरे पर वासना सी दिखाई दी मुझे.
वो उठकर मेरे पास आई और मेरी आंखों में देखते हुए उसने मेरे अंडरवियर पर हाथ रख दिया. वो मेरे लंड को सहलाने लगी और मेरे मुंह से आह निकल गयी.
दीदी बोली- मजा आ रहा है क्या?
मैंने सिसकारते हुए कहा- हां दीदी, बहुत अच्छा लग रहा है.
उसने फिर मेरे लंड को दबाकर देखा. मेरा लंड बहुत सख्त हो गया था.
वो बोली- मैंने कभी लंड को मुंह में लेकर टेस्ट नहीं किया है. मुझे करना है.
मैंने कहा- आह्ह … कर लो दीदी. मैं भी आपके मुंह में लंड देना चाहता हूं.
मुस्कराते हुए वो नीचे बैठ गयी और उसने मेरे अंडरवियर को नीचे कर दिया.
मेरा लंड एकदम से उछल कर बाहर आ गया. दीदी ने मेरे लंड को मुंह में भर लिया और ऐसे चूसने लगी जैसे उसको कोई मीठा लॉलीपोप दे दिया हो.
मैं भी मस्ती में भर गया.
मैंने दीदी के सिर को पकड़ लिया और अपनी गांड को आगे पीछे हिलाते हुए दीदी के मुंह में लंड को चुसवाने लगा.
मुझे बहुत मजा आ रहा था और दीदी की आंखें भी बंद हो गयी थीं.
वो पांच मिनट तक मेरे लंड को चूसती ही रही.
अब मेरी चरम सीमा आ गयी और मैंने बिना बताये दीदी के मुंह में अपना वीर्य छोड़ दिया.
दीदी को मुंह में वीर्य का पता लग गया लेकिन वो चुपचाप उसे पी गयी.
जब उसने मेरे लंड से मुंह को हटाया तो वो मुस्करा रही थी और बोली- बहुत टेस्टी था.
मैंने कहा- मुझे भी आपकी चूत देखनी है.
ये सुनते ही उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बेड पर लेकर लेट गयी.
उसने मेरा मुंह अपनी टांगों के बीच में करवा लिया और अपनी चूत मेरे सामने खोल दी.
मैंने पहली बार दीदी की चूत में झांक कर देखा. उसकी चूत बहुत मस्त थी. चूत बिल्कुल क्लीन थी और उस पर दीदी ने एक भी बाल नहीं रखा हुआ था.
दीदी की चूत को मैंने हाथ से सहला कर देखा तो दीदी की सिसकारी निकल गयी.
मुझे पता लग गया कि दीदी को ऐसा करने से मजा आ रहा है.
मैं भी दीदी को मजा देना चाहता था.
मैंने अब उसी तरह दीदी की चूत को सहलाना शुरू कर दिया.
दीदी के मुंह से मस्त कामुक सिसकारियां आने लगीं. वो आह्ह … आह्ह … करने लगी और बोली- हां, और तेज तेज सहलाओ यार … बहुत मजा दे रहे हो.
फिर मैंने देखा कि दीदी की चूत से बहुत सारा रस निकल रहा है.
उसकी चूत ने मेरे हाथ को भी गीला करना शुरू कर दिया था.
मेरा मन करने लगा कि मैं भी दीदी की रसीली चूत को चाटूं.
मैंने चुपके से दीदी की चूत पर होंठ रख दिये और दीदी की चूत को चाटने लगा.
वो जोर से सिसकारी- आह्ह … सुनील … ओह्ह यस … ऐसे ही करो … वाऊ … वोह् … आह्ह … कमॉन … सक् इट (चूसो इसे) … आह्ह … जोर से।
अब मैं तेजी से दीदी की चूत को चाटने लगा. वो अपनी टांगें खोलकर मेरे मुंह की ओर चूत को धकेलने लगी और अपनी चूचियों को सहलाने लगी.
उसकी चूचियां बहुत तनी हुई दिख रही थीं.
वो उनको दोनों हाथों में भींचकर आपस में रगड़ रही थी. उसकी चूचियों के निप्पल भूरे रंग के थे जो बिल्कुल तन गये थे.
मैं तेजी से दीदी की चूत को चाट रहा था.
अब मेरा लंड फिर से खड़ा हो रहा था. दीदी अपनी उंगली को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी और एक हाथ से अपने निप्पलों को मसल रही थी.
फिर उसने मेरे मुंह से अपनी चूत हटा ली और मुझे भी अपने साथ नीचे लिटा लिया.
वो मेरे लंड की ओर मुंह को ले गयी और अपनी चूत मेरे चेहरे की तरफ कर दी.
अब मेरा मुंह उसकी चूत की तरफ था और उसका मुंह मेरे लंड के बिल्कुल सामने था.
उसने मुझे चूत को चूसने का इशारा किया और खुद फिर मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी.
वो मेरी गांड पर हाथ फिराते हुए मेरे लंड को पूरे जोश में चूस रही थी.
मैं भी दीदी की गांड को सहलाते हुए उसकी चूत में तेजी के साथ जीभ को अंदर बाहर करने लगा.
हम दोनों एक दूसरे के अंगों को जैसे खाने ही वाले थे.
बहुत मजा आ रहा था.
कुछ देर के बाद उसने फिर से अपने मुंह से मेरे लंड को निकाल दिया और हांफते हुए बोली- नाउ फक मी … सुनील … आई कान्ट हैंडल इट एनी मोर (अब मुझे चोद दो … मैं अब और बर्दाश्त नहीं कर सकती हूं)
मैं भी दीदी की चुदाई करना चाहता था क्योंकि दीदी ने मेरे लंड में तूफान मचा दिया था.
वो जल्दी से बेड के सिरहाने की ओर जाकर लेट गयी और अपनी टांगों को फैला दिया.
बिना देर किये मैं भी दीदी की टांगों के बीच में गया और उसकी चूत पर लंड को टिका दिया.
मेरा ये पहली बार था इसलिए मुझे कुछ अनुभव नहीं था. मैं बस वही कर रहा था जो मेरे दिमाग में आ रहा था.
मैंने दीदी की चूत के छेद को लंड से टटोला और फिर उसकी चूत में जोर का धक्का दे दिया.
वो एकदम से चिल्लाई- आराम से … इडियट … इतनी जोर से कौन करता है?
दीदी को मैंने सॉरी कहा और फिर लंड को वहीं रोक दिया.
उसके चेहरे पर उसकी चूत का दर्द साफ दिखाई दे रहा था.
वो किसी तरह मेरे लंड के झटके को बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी.
अब मैंने कुछ देर के बाद धीरे धीरे लंड को अंदर धकेल कर देखा. दीदी की चूत में लंड फंस गया था.
फिर मैंने उसकी चूत में लंड को चलाना शुरू किया और दीदी को अच्छा लगने लगा.
आहिस्ता से धक्के लगाते हुए मैंने दीदी की चूत में धीरे धीरे पूरे लंड को ही अंदर धकेल दिया और अब दीदी की चूत मेरे पूरे लंड को आराम से अंदर ले रही थी.
मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके होंठों को चूसते हुए उसकी चूत में धक्के लगाने लगा.
मुझे पहली बार चुदाई का मजा मिल रहा था.
मैं जैसे दीदी की चूत में पूरा लंड घुसा कर फाड़ देना चाहता था.
दीदी को भी लंड का मजा मिल रहा था और वो मेरे पूरे बदन पर हाथ फिराते हुए चुदने का मजा ले रही थी.
अब दीदी की चूचियां पहले से भी ज्यादा कड़क हो गयी थीं.
मैं दीदी की चूत को चोदता रहा.
मगर ज्यादा देर तक मैं खुद को रोक नहीं पाया और अचानक मेरा चरम बिंदू आ गया.
मेरा माल दीदी की चूत में निकल गया और मैं शांत हो गया.
दीदी भी मुझसे लिपट गयी.
कुछ देर तक हम दोनों लेटे रहे.
मैं दीदी के होंठों को फिर से चूसने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी.
हम काफी देर तक होंठों को ही चूसते रहे.
थोड़ी देर के बाद हम दोनों फिर से गर्म हो गये.
मेरा लंड एक बार फिर से दीदी की चूत को चोदने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका था.
दीदी ने मेरे लंड को एक बार फिर से मुंह में भरा और चूसने लगी.
मैं दीदी की चूत में उंगली से चोदते हुए उसकी चूत को गर्म करने लगा.
अबकी बार दीदी मेरी गोटियों को भी चूस रही थी. वो दस मिनट तक मेरे लंड से खेलती रही.
मैंने भी उसकी चूत और चूचियों को चूस चाटकर लाल कर दिया.
फिर अबकी बार मैंने दीदी को घोड़ी की पोज में झुका लिया. ये पोज मैंने पोर्न फिल्मों में बहुत देखी थी.
मैंने पीछे से दीदी की चूत में लंड डाल दिया और मैं उसकी चुदाई करने लगा.
दीदी भी अपनी चूत के दाने को सहलाते हुए चुदने लगी. उसकी चूचियां आगे पीछे झूल रही थीं और दीदी को ऐसे चुदते हुए देखकर मुझे बहुत मजा आ रहा था.
अब मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और मैं तेज तेज धक्के लगाने लगा.
दीदी की चूत की चिकनाई से सराबोर मेरा लंड अब जब दीदी की चूत में जाता तो उसकी चूत फच फच की आवाज कर रही थी.
इस बार मैंने लगभग 15-20 मिनट तक दीदी की चुदाई की और एक बार फिर से मैंने दीदी की चूत में अपना माल गिरा दिया.
वो अब बेहाल हो गयी थी.
शांत होने के बाद मैंने दीदी से पूछा- आपका पानी भी निकला था क्या?
वो बोली- मैं दो बार झड़ चुकी हूं. मुझे बहुत मजा आया. तूने तो मेरी प्यास बुझा दी. आई लव यू सुनील!
मैंने भी दीदी को बांहों में भर लिया और फिर से हम दोनों एक दूसरे से लिपट गये.
हम दोनों ही थक गये थे लेकिन फिर भी एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे.
एक दूसरे के होंठों को चूसते हुए ही हमें नींद आ गयी और हम दोनों नंगे ही लिपटकर सुबह तक सोते रहे.
उस दिन पहली बार मैंने दीदी की चुदाई की थी.
अगली सुबह दीदी उठी तो बहुत खुश थी.
मैं भी बहुत खुश था.
हम दोनों का ये रिश्ता अब बहुत गहरा हो गया था. दीदी के साथ अब हर तरह का मजा आता था.
हम दोनों दिनभर काम करते और रात को चुदाई करके सोते.
दीदी मुझसे बिना कॉन्डम के ही चुदवाती थी. जब मैं उससे पूछता था तो वो कहने लगती कि अगर उसको मेरा बच्चा हो भी गया तो उसे कोई दिक्कत नहीं है. वो मेरे बच्चे को भी जन्म दे देगी.
ये सोचकर मैं दीदी को और भी जोर से चोद देता था.
दोस्तो, ये थी मेरी पड़ोसी दीदी की चुदाई की कहानी. आपको लड़की की अन्तर्वासना कहानी कैसी लगी इस बारे में आप अपने कमेंट्स में लिखें.
आपके सुझावों का इंतजार रहेगा.
मेरा ईमेल आईडी भी मैंने नीचे दिया हुआ है.
[email protected]