लॉकडाउन में दीदी ने किया सबका मनोरंजन- 2

सगी बहन की चुदाई के खेल का मजा लें. दीदी को पटाने के बाद अब उसकी चुदाई की बारी थी। मगर दीदी की चूत के कई दावेदार थे। मेरे दोस्त …

दोस्तो, मेरी सगी बहन की चुदाई कहानी के पिछले भाग
लॉकडाउन में सेक्सी दीदी को चुदाई के लिए पटाया
में आपने पढ़ा कि मेरे पापा लॉकडाउन में कहीं बाहर फंस गये और मेरे दोस्त मेरे घर फंस गये।

इसी बीच हम सबने मिलकर दीदी को चोदने का प्लान कर लिया और मैंने सबसे पहले दीदी को नंगी करके उसके मजे लेना शुरू किया।

अब आगे सगी बहन की चुदाई का खेल:

उसके बाद मैंने दीदी को उसके बालों से पकड़ा और बिस्तर के नीचे उतार दिया।
नीचे बिठाकर मैंने अपना लौड़ा दीदी के मुंह में डाल दिया।

दीदी को ये सब करते हुए थोड़ा अजीब लग रहा था।
वो मुझे रोकने का प्रयास करने वाली थी मगर उससे पहले मैंने दीदी के मुंह में लौड़ा भर दिया।

शुरुआत में सुनैना दीदी थोड़ा संकोच कर रही थी मगर बाद मैं खुद ही अपने छोटे भाई का हथियार पकड़ कर अपने मुंह में घुमाने लगी और अपनी जीभ को मेरे टोपे पर घुमाने लगी।

बहुत देर तक दीदी के मुंह को चोदते हुए जब मैं झड़ने वाला था, तब मैंने दीदी को बालों से पकड़ा और उसे आगे की तरफ धक्का लगाया जिससे मेरा लौड़ा सीधे दीदी के गले तक पहुँच गया।
जहाँ मैंने अपना सारा वीर्य दीदी के गले में छोड़ दिया और दीदी को मेरा वीर्य निगलना ही पड़ा।

इससे उसको खांसी आ गयी और उसने मुझे ज़ोर का धक्का मार कर साइड में कर दिया और ज़ोर-ज़ोर से खांसने लगी।
खाँसते-खाँसते दीदी की आँखों से पानी निकल गया।

मैंने थोड़ी देर दीदी को शांत होने का मौका दिया। उसके बाद मैंने उसको बाँहों में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया।

अब मैंने दीदी का पजामा नीचे खींच दिया और उसे वहीं फेंक दिया।
पजामे के अंदर मैंने जो देखा उससे मेरा दिमाग सुन्न हो गया था।
मेरा लौड़ा इतना सख्त हो गया कि उसमें दर्द होने लग गया था।

मैंने देखा कि मेरी सुनैना दीदी की चूत बहुत ही खूबसूरत थी।
दीदी की चूत एकदम गोरी और गुलाबी थी। देखने में ऐसी कि जैसे किसी अंग्रेजन लड़की की चूत हो।
बहुत ही नाजुक सी चूत थी दीदी की। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था।

चूत के पानी से दीदी की चूत किसी हीरे की तरह चमक रही थी। दीदी की चूत की दीवारें यानि कि चूत के होंठ बहुत बड़े-बड़े थे।
मैंने सुनैना दीदी की चूत से सुंदर चीज़ आज तक नहीं देखी।

मैं खुद को बहुत भाग्यशाली मानने लगा। दीदी की चूत देख कर मेरी आँखें चकाचौंध से भर गयी थीं।

इसके बाद मैंने दीदी की चूत पर हाथ रखा और चूत की दीवारों को खोला।
मैंने देखा कि दीदी की चूत का छेद इतना बड़ा नहीं है।

इससे मुझे और ख़ुशी हुई कि दीदी की चूत तंग है। मगर उसकी चूत का दाना मुझे दिख गया जो कि उसकी चूत की ही तरह बड़ा था।

दीदी की चूत खोल कर उसमें मैंने 2 उँगलियाँ रखीं और धीरे-धीरे हिलाने लगा; दूसरे हाथ से मैं दीदी की लंबी-लंबी टाँगों को सहलाने लगा।
वो भी इसका मज़ा लेने लगी और अपनी टाँगों को सिकोड़ कर इकट्ठा करने लगी।

तब मैंने दीदी का चेहरा देखा।
दीदी ने अपनी आंखें बंद कर ली थी और अपने स्तनों को सहला रही थी। दीदी का मुंह एकदम लाल हो गया था और उसके मुंह से लार टपक रही थी।

ये देखकर मुझमें बहुत जोश आ गया और मैंने अब अपने हाथ की रफ़्तार एकदम से बहुत बढ़ा दी।
उसके बाद मैं भी नीचे झुका और मैंने दीदी की चूत को मुँह में भर लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा।

बीच-बीच में मैं दीदी की चूत के दाने को भी मसलता और उसे दांत से काट लेता।
इससे वह बहुत मज़े ले रही थी।

उसने अब मुझे सिर से पकड़ लिया था और अपनी चूत की तरफ धक्का मार रही थी।

उसके मुंह से लगातार सिसकारियां निकल रही थीं। उसकी चूत की आग अब बहुत भड़क गयी थी। सेक्स बढ़ाने वाली दवाई अपना असर दिखा रहा था।

मेरा लौड़ा भी अब दीदी की चूत में जाने के लिए बेताब था।

हम दोनों अपने में ही मस्त हो गए थे। बाकी लोग क्या कर रहे थे हमें इसकी खबर नहीं रह गयी थी।
मैं तो दीदी की चूत में जैसे कहीं खो सा गया था। इतनी मस्त चूत आज तक पोर्न फिल्मों में भी नहीं देखी थी मैंने!

इसलिए अब मैं उठा और जल्दी से अपना लंड दीदी की चूत पर रख दिया और बाहर से चूत पर घिसने लगा।
कुछ देर ऐसा करते हुए दीदी बिल्कुल पागल हो गई और वो मेरा लौड़ा पकड़ कर खुद ही अंदर डालने लगी।

मैंने भी अपना लंड दीदी की चूत के छेद पर रखा और लंड से वहाँ जगह बना कर उसे अंदर धक्का मार दिया।

मगर वो अचानक से हट गई और मुझे रुकने को कहा।
मैंने सोचा कि अब दीदी मुझे चोदने नहीं देगी।

मगर उसने मुझे कहा कि तुमने कंडोम नहीं पहना है और वो कंडोम के बिना नहीं कर सकती।

मैंने दीदी को समझाया कि कंडोम की कोई जरूरत नहीं है, मैं बाद में उसको प्रैग्नेंट होने से बचाने वाली दवाई खिला दूंगा।
वो इसके लिए नहीं मानी।

फिर मैंने अपने दोस्तों से कहा कि नीचे दवाई वाली दुकान के स्टोर में से कंडोम लेकर आये तो मेरा एक दोस्त भागकर कंडोम लेने गया।
उतनी ही देर में मैं बाहर से ही दीदी की चूत पर अपना लंड फेरने लगा।

पास में खड़े सभी मेरे दोस्त इस दृश्य का आनंद ले रहे थे।

तभी मेरा दोस्त कंडोम का एक बड़ा सा डिब्बा ही लेकर आ गया। वो डिब्बा मैं तब लेकर आया था जब मैं आखिरी बार सामान लेने गया था।

मगर मैंने उसकी परवाह नहीं की। मैंने जल्दी से वो डिब्बा खोला और उसमें से कंडोम निकाल कर पहन लिया। कंडोम पहनते हुए मैंने अपने दोस्तों को उनके कपड़े खोलने को कहा।

मैंने उनसे कहा कि दीदी पर दवा का बहुत असर है। दीदी मुझ अकेले से शांत नहीं होगी।
इसलिए मैंने उनसे कहा कि जैसे ही मैं झड़ जाऊँ वैसे ही अगला बन्दा आकर अपना लंड दीदी की चूत में घुसा देना।

वो लोग वैसा ही करने लगे।

मैं उछल कर फिर से दीदी के पास बिस्तर पर आ गया और वो बाकी लोग नंगे होकर हाथ में 1-1 कंडोम लेकर अपना लंड हिलाते हुए उसे तैयार करने लगे।

तब मैंने जल्दी से दीदी की चूत पर लौड़ा रखा और आराम से धक्का मारकर उसे अंदर कर दिया।
दीदी की चूत इतनी गीली हो गयी थी कि मुझे ज्यादा ज़ोर लगाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी।

जैसे ही मैंने अपना लौड़ा दीदी की चूत में डाला तो दीदी की चूत ने मेरे लौड़े को अंदर कसकर पकड़ लिया।
अब मुझे अहसास हो गया कि दीदी मुझे बहुत मज़े देने वाली है।

दीदी की चूत इतनी गर्म थी मानो गर्म पाइप में मैंने अपना लंड डाल दिया हो।

उसके बाद मैंने अपना लंड बाहर निकाला और फिर अंदर डाल दिया।

थोड़ी देर तक मैंने दीदी को धीरे-धीरे चोदा, मगर उसके बाद मेरा दिमाग पागल सा हो गया।
मैंने एक बहुत ज़ोर का झटका मारा और पूरा लंड अंदर चला गया।
फिर उसी जोर के साथ मैंने दीदी को तेज तेज चोदना शुरू कर दिया।

मैं दीदी को इतनी जोर-जोर से चोद रहा था कि चारों तरफ पट-पट की आवाजें आने लगी।
उसको बहुत दर्द होने लगा, वो मुझे पीछे हटाने लगी और बहुत जोर-जोर से चिल्लाने लगी।

रात का समय था और लॉकडाउन की वजह से बाहर कोई गाड़ी भी नहीं थी।

दीदी की ये चीखें बाहर तक सुनाई दे सकती थीं; इसलिए मेरे एक दोस्त ने बाहर हॉल में जाकर टीवी चालू कर दिया और उसका साउंड बढ़ा दिया ताकि दीदी की चीखें बाहर किसी को न सुनाई दें।

चुदते हुए वो फिर भी बहुत ज़ोर-ज़ोर से चीख रही थी।
इसलिए मैंने अपने दोस्त रघु से कहा कि दीदी के मुंह में अपना काला और मोटा लंड डाल कर दीदी को चुप करवा दे।

मेरे दोस्त रघु ने ऐसा ही किया।
थोड़ी देर बाद दीदी की दर्द भरी आवाजें मज़े भरी सिसकारियों में बदल गयीं।

दीदी मदहोश होकर अब मजे लेने लगी और रघु का काला और मोटा लंड भी मज़े से चूसने लगी।

मैं पागलों की तरह उसकी चूत मार रहा था। उसको दर्द तो बहुत हो रहा था पर मज़ा भी उतना ही आ रहा था।

बहुत देर तक बहन को चोदते-चोदते मैं झड़ने वाला था तो मैंने रघु को इशारा किया कि वो मेरी जगह लेने आ जाये।

फिर मैंने पीछे खड़े दूसरे दोस्त ध्रुव को इशारा किया कि वो दीदी के मुंह में लंड देने के लिए तैयार हो जाये।

मैं अब अपने चरम पर था। इसलिए मैंने आखिरी के झटके बहुत जोर-जोर से लगाये और दीदी की चूत में झड़ गया यानि कि कंडोम में मैंने अपना वीर्य छोड़ दिया।

इतने में मेरा दोस्त रघु कंडोम पहनकर तैयार हो गया था और उसकी जगह पहले ही मेरे दूसरे दोस्त ध्रुव ने ले ली थी।

दीदी अभी भी आँखें बंद करके हमारा सहयोग दे रही थी।

जैसे ही मैं दीदी के ऊपर से हटा, वैसे ही मेरे दोस्त रघु ने अपना काला और मोटा हरियाणवी लौड़ा मेरी दीदी की चूत के छेद के ऊपर रखा और एक ज़ोर का झटका मारा कर दीदी की चूत में डाल दिया।

उसका लौड़ा मेरे और वहाँ पर उपस्थित सभी लौड़ों में से सबसे मोटा था।
इसलिए दीदी को इससे बहुत दर्द हुआ और दीदी उठने लगी पर उसने दीदी को हाथों से पकड़ कर फिर से लिटा दिया।

वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। दीदी उससे छूटने की कोशिश करने लगी।
दीदी छटपटाते हुए अपनी टाँगें और कमर ऊपर उठाती मगर वैसे ही रघु ज़ोर का झटका मारता और दीदी फिर से नीचे आ जाती थी।

मैं कोने में बैठकर दीदी की मस्त चुदाई का आनंद उठा रहा था। रघु बीच-बीच में दीदी की चूत पर थूक फेंकता था ताकि उससे लंड आसानी से अंदर जाए और मेरी चुदक्कड़ बहन को ज्यादा दर्द न हो।

कुछ देर तक दीदी को इतने मोटे लौड़े से दर्द तो ज़रूर हुआ मगर बाद में दीदी शांत हो गयी और फिर से चुदाई के मजे लेने लगी।

रघु ने भी दीदी को बहुत देर तक चोदा और उसके झड़ने के बाद ध्रुव मेरी बहन को चोदने आ गया और अब नरेश मेरी बहन के मुंह को चोदने लगा।

इसी तरह मेरे सभी दोस्तों ने दीदी को एक-एक बार बारी-बारी से चोद दिया था।

मगर दीदी 7 लोगों के चोदने के बाद पहली बार झड़ी थी।
उतने में फिर से सब के लौड़े तैनात हो गए थे इसलिए सबने एक बार फिर दीदी की चूत चोदी।

अबकी बार मैंने आखिरी में दीदी को चोदा। उसके बाद मैं वहीं बहन के साथ सो गया।
बाकी सब लोग भी बहुत थक गए थे तो जो जहाँ बैठा था वहीं सो गया।

रात को 12 बजे के करीब हमने मेरी बहन को चोदना शुरू किया था और सुबह 4 बजे हम सोये।

पूरी रात दीदी को लगातार चोदने के बाद हम अगले दिन दोपहर 1 बजे तक सोये रहे।
1 बजे जब मैं उठा तो मैंने देखा कि सब लोग नंगे ही उस छोटे से कमरे में सोये हैं।

दीदी भी मेरे पास ही अपने बड़े-बड़े स्तनों और फैली हुई गांड और बहुत चुदी हुई चूत के साथ पास में सोयी हुई थी।

उसका बदन बहुत नाज़ुक था इसलिए हम सबने जहाँ-जहाँ से उसको ज़ोर से पकड़ा था वहां-वहां दीदी को निशान पड़ गए थे।

मेरी दीदी के स्तन, गाल, गांड और चूत तो बहुत लाल हो गए थे और नील भी पड़ गए थे। उसको ऐसे देख कर फिर से चोदने का मन करने लगा था।
मगर मैंने सोचा कि उसकी अभी बहुत बुरी हालत है, इसलिए अभी दीदी को उठाना उचित नहीं होगा।

तो फिर मैं चुपके से उठा और अपने सभी दोस्तों को उठाया। मैंने सबको चुपचाप बाहर निकलने को कहा।

सब लोग अपने-अपने कपड़े उठाकर चुपचाप बाहर निकल गए। उसके बाद सब लोग नहा-धोकर हॉल में इकट्ठे हो गए।

उसके बाद मैंने और कुछ दोस्तों ने मिलकर सबके लिए खाना बनाया। उसके बाद मैंने सबको कुछ न कुछ काम दे दिया।

उतने में मैं दीदी के कमरे में गया।
मैंने देखा कि वो अभी दरवाज़े की तरफ मुंह करके सो रही थी और उसके स्तन उसी तरफ लुढ़क गये थे।

उसके बाद मैंने देखा कि उस कमरे में चॉक्लेट फ्लेवर के कंडोम की गंध आ रही थी।

चारों तरफ कंडोम ही कंडोम पड़े हुए थे।
हम 10 लड़कों ने 2 बार दीदी को चोदा था मतलब वहाँ 20 कंडोम पड़े हुए थे।
मुझे वो सब उठाने पड़े और वहाँ पौंछा मारना पड़ा।

कंडोम का बड़ा डिब्बा अभी भी वहीं पड़ा था, जिसमे अभी भी बहुत से कंडोम थे।

उसके बाद मैंने दीदी को उठाने की सोची।
तो पहले मैंने दीदी के लिए चाय बनायी।

मैं दीदी को चाय देने गया तो मैंने देखा कि वो पहले से ही उठ गई है और अपने बदन को देख रही है।

तो मैं दीदी के पास गया और कमरा अंदर से कुण्डी लगाकर बन्द कर दिया।
उसके बाद मैंने दीदी को चाय दी।

दीदी ने चाय ले ली और पीने लगी।

मैंने सोचा कि दीदी के साथ बात करना ज़रूरी है इसलिए मैंने बात शुरू की।

मैं- दीदी! मुझे माफ़ कर दो। जो भी रात को हुआ उसके लिए मैं बहुत शर्मिंदा हूं।
दीदी चुप बैठी रही।

मैं- दीदी! मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ और आपको पाने के लिए कुछ भी कर सकता था इसलिए मैंने ये सब किया।

दीदी कुछ देर चुप रही और फ़िर मुस्कराकर उसने जवाब दिया- मुझे ये सब बहुत पहले से ही पता है।

मैं हैरानी से- क्या? क्या मतलब है आपका?
दीदी- मुझे पता था कि तू मेरे पीछे पड़ा है और तू मुझे बहुत पहले से ही चोदना चाहता था।

मैं- मगर कैसे?
दीदी- मैंने तुझे एक दिन मेरी गांड का फोटो देखकर दीदी … दीदी … करते हुए अपना लंड हिलाते हुए देख लिया था।
मैं- तो उस समय आपको गुस्सा नहीं आया? आपने मुझे कुछ बोला क्यूँ नहीं?

वो बोली- पहले मुझे बहुत गुस्सा आया था, मगर बाद में मैंने तेरे लौड़े को ध्यान से देखा तो मुझे भी उससे बहुत प्यार हो गया था। उसके बाद मैं भी तुझसे चुदना चाहती थी लेकिन तू मेरा भाई है इसलिए थोड़ा हिचकिचाती थी।

मैं- तो रात को आप मुझे रोक क्यूँ रही थी। आपकी इच्छा भी तो पूरी हो रही थी न?

दीदी- तुझसे तो मैं चुद जाती, मगर मुझे तेरे दोस्तों का डर लग रहा था जो दरवाजे के पास खड़े थे। मुझे पता था कि वो भी मुझे चोदने ही आये थे। मैं डर रही थी कि इतने सारे लोगों से मैं कैसे चुदूंगी।

मैं- ओ! अच्छा! तो अब आपको कैसा लग रहा है? अब तो आप चुद ही चुकीं हैं हम सभी से?

दीदी- मैं पहले सिर्फ सोच रही थी कि इतने लोगों से चुदते हुए मुझे कितना दर्द होगा। मैं मज़े के बारे में नहीं सोच रही थी। हालाँकि चुदाई के बाद दर्द तो वैसा ही हुआ जैसा मैंने सोचा था पर मजा भी बहुत आया।

मैं- अरे वाह दीदी! ये तो अच्छी बात है। मैंने सोचा पता नहीं आप मुझे क्या क्या बोलतीं। मगर ये तो अच्छा ही हुआ।
दीदी- हम्म …जो हुआ ठीक ही हुआ।
मैं- वैसे दीदी! आपने हम सबको अच्छे से सम्भाल लिया था।

उसके बाद हमने बहुत सी बातें कीं और मैंने सब कुछ फिर से ठीक कर दिया।

मेरी सगी बहन मुझसे और मेरे दोस्तों से बिल्कुल नाराज़ नहीं थी बल्कि बहुत खुश थी।

कुछ देर बाद …

मैं- तो अब आप नहाकर आ जाओ दीदी।
दीदी- यार! तुम लोगों ने मुझे इतना चोदा है की मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा है। मुझसे उठा भी नहीं जा रहा है।

मैं- दीदी, आप फ़िक्र मत करो … मैं आपको उठाकर बाथरूम में ले जाता हूँ।
उसके बाद मैंने दीदी को गोद में उठाया और कमरे से बाहर निकला।

हम दोनों को ऐसे देखकर मेरे दोस्त हैरान रह गए।

उन्हें भी ऐसा ही लगा था कि दीदी अब सबसे नाराज़ हो गयी होगी और अब वो पता नहीं क्या करेगी।
मगर मैंने उनको इशारा करते हुए समझा दिया कि मैंने सब ठीक कर दिया है।

ये देख कर सबने चैन की सांस ली और दीदी ने भी सबको एक अच्छी सी मुस्कान दे दी।

उसके बाद मैं दीदी को बाथरूम में लेकर गया और दीदी को वहां बिठा दिया और दरवाजा खुला ही रखा।

मैंने बाल्टी में पानी भरने के लिए उसे नल के नीचे रख दिया। मैं उस समय निक्कर में ही था। उसके बाद मैंने जग में पानी भरा और दीदी के सिर के ऊपर डाल दिया।

उसके बाद 2-3 और बार मैंने दीदी के ऊपर पानी डाला। उसके बाद मैंने साबुन लिया और उसकी गर्दन से होते हुए दीदी के स्तनों और उसके बाद पेट, फिर पीठ और बाजुओं में लगा दिया।

मैंने हाथ से उसके ऊपर के हिस्से वाले सारे शरीर को मला और स्तनों पर ज्यादा ध्यान से और मज़े से मला।

अब तक मैं भी गर्म हो गया था, मेरा लौड़ा सख्त हो गया था।

उसके बाद मैंने बहन की टाँगों पर साबुन मला और उसके बाद हाथ से ही मलने लगा। मलते हुए मेरा हाथ दीदी की चूत पर चला गया।
मैं दीदी की चूत में साबुन का झाग डालने लगा लेकिन दीदी ने मुझे रोक दिया क्यूंकि दीदी अभी ये नहीं चाहती थी।
अभी उसको दर्द भी बहुत हो रहा था।

मगर फिर भी उसने मुझे निराश नहीं किया। उसने मेरी निक्कर पकड़ कर नीचे कर दी और मेरा लौड़ा पकड़ कर मुंह में डाल के मुठ मारते हुए चूसने लगी।

दरवाज़ा खुला था तो मेरे सभी दोस्त हमें देखकर खुश हो रहे थे।

उसके बाद मैं दीदी के मुंह में ही झड़ गया और दीदी ने सारा वीर्य पी लिया। उसके बाद मैं बाहर आ गया और दीदी खुद ही नहाकर आ गयी।

अब शाम के 4 बज गए थे। हम सबने फिर से मिलकर खाना खाया। खाना खाते हुए सबने सुनैना दीदी को कल रात के लिए धन्यवाद किया।
बाद में सबने बहुत सारी बातें कीं।

इन बातों में घर के काम और कई बातों के बारे में फैसले लिए गए।

सब लोगों को पता था कि घर में एक जवान लड़की है जिसकी सब चुदाई कर चुके हैं और अब ये तो आम बात थी कि अब सब लोग दीदी को रोज़ ही चोदने वाले थे।

इसलिए सब लड़कों को काम बाँट दिए गए। तय हुआ कि 3 लड़के सुबह का खाना बनाएंगे और 3 लोग शाम का और 3 लोग रात का। हर लड़के को 1-1 घण्टे तक दवाई की दुकान सम्भालनी पड़ेगी।

हम सब दोस्त एक ही कॉलेज में डी. फार्मेसी कर रहे थे तो सब दवाइयों के बारे में जानते थे और दुकान सम्भाल सकते थे। दीदी को कोई काम नहीं दिया गया। दीदी को सिर्फ सबका मनोरंजन करने के लिए कहा गया।

मेरी बहन को एक शर्त दी गयी थी कि उसको घर में नंगी ही रहना पड़ेगा ताकि सब लोग दीदी के मदहोश बदन को देख पाएं।
एक शर्त ये भी रखी गयी कि हर चुदाई के बाद दीदी को आधे घण्टे का आराम मिलेगा।

उस आधे घण्टे में दीदी को कोई हाथ नहीं लगायेगा। शाम को 5 बजे के बाद दीदी को कोई नहीं चोदेगा, ये शर्त भी बनाई गई क्यूंकि रात के खाने के बाद टीवी में रोज़ एक चुदाई की फिल्म लगायी जायेगी, तब सब मिलकर दीदी को चोदेंगे।

अगले दिन से जैसा प्लान किया था वैसा होने लगा।

सुबह 9 बजे हम उठे तो सब दीदी को चोदने दौड़ पड़े। मगर मैंने पहले नंबर लगा दिया।
दीदी के कमरे में कंडोम के 2 बड़े डिब्बे रखे हुए थे। मैंने झट से एक पहना और दीदी के ऊपर कूद गया।

दीदी अभी सो ही रही थी और नंगी ही थी। मैंने पास में से पानी की बोतल उठाई और उसकी चूत के ऊपर उसका पानी गिरा दिया।
इससे दीदी भी उठ गई।

अभी भी उसकी चूत थोड़ी सूजी हुई थी मगर मैंने इसकी परवाह नहीं की और दीदी को चोद दिया।
इसके बाद पूरा दिन दीदी को हर आधे घंटे के बाद कोई न कोई चोदता रहा।

उसके बाद 21 दिन ऐसे ही बीत गए।

उन लोगों को अगले ही दिन कहीं और कमरे मिल गए और अगली सुबह उनको जाना था तो उस रात उन लोगों ने दीदी को पूरी रात चोदा और दीदी को उठने लायक भी नहीं छोड़ा।

फिर उसके अगले दिन वो लोग चले गए और दीदी को मेरे साथ अकेला छोड़ गए।
मैं भी उसके बाद दुकान से आकर सगी बहन की चुदाई खूब करता था।

मगर बाद में पापा के आ जाने के बाद हम घर में चुदाई नहीं कर पाए।
हां लेकिन कभी-कभी समय निकाल कर मैं दीदी को चोद ही देता था।

इस तरह से मेरी दीदी ने पूरे लॉकडाउन में चूत देकर मजे दिये।

आपको मेरी सगी बहन की चुदाई का खेल कैसा लगा? इसके बारे में अपने विचार जरूर शेयर करें।
मेरा ईमेल आईडी है [email protected]



bua ko pataya xxx khanisex khani xxx/antarvasna/mami-muth-marna-sikhaya/bua aor batija ke cudai sax story in hindiचाची को चोदा सुखदायक कहानीbhatiji ka bur udghatan kahaniअँतरँग कहानी दामादनेअपनीसास औरसरहज को चोदामदमस्त कूल्हे गाँड कहानीतारक मेहता चुदाइsexy chachi ki chut marne kahani/first-time-sex/hot-ladki-ki-chudai/Randi Maa ki chudai ki kahanihot nighty pehne wali widhwa bhabhi ki kahani under hindiXxx makanmalkin aunty kahanichudhi story hindi me kwari chutt keAunty ki gaand se lund chusne se sex storyबुर सेक्स कहानियांHindi sex story Behan ki chudai Xxx.Khani.Sistrhindi girls sexy kahni chut ki chudai kahni hindi mpadosan ka bhosada choda kahani hindiBabe ko papa ne chodaदेसी मैडम के Xxx की कहानीबारिश लङकी Xxx चुची कहनीया भाई बहनsamsungfunclubs.com chut ke mehima aprmparमेरे सामने मेरी बहन की सील टूटी antarvasnax.comभाभी को ट्रेन मे गर्म करके चोदा गंदी कहानीchudai mi cheekh ne kahaane/family-sex-stories/bus-didi-ko-choda-part-1/www.moma sex khnemummy aur badi didi ki choda sexbabaभाई चोदाsex story kumari sauteli maa ki chudaiSex kahaniकामुक लम्बी कहानी अपनी अपनी बहनaga.chhode.moka.to.choma.magis.laxxx kahani gand ki kuwa kar diyaBahen ki roj chudai bhai ke sath hindi kahanibhan ki antrvashnahindi sex story padhne wali/videos/page/17/ब्रदर ने सोती हुई बहन की सेलपीक चुत हमारी गांड मारी खून निकल आया हमारी बहन की चिख निकल पड़ी रोने लगी सेक्स स्टोरीbiwi ko sabki randi banayaBabhi ko choda gand mari storyबहन भाई जीभ चुत चटाई कहानीdesi bur kahaniMaa bate ki chudai khani/aunty-sex/hot-aunty-chudai-kahani/Jeth sasur ke sath xxx kahaniBeti ki chudai kahaniचाची को मै ने चोदा कैसे चोदवया कहानीशादीशुदा चचेरी बहन ने भाई से ट्रेन मे चुदाई की कहानीseal tod chudai story hindigay sex hindi storieschudaye ke kisseचुत का मजा कहानीdeshi ladaki ki chudai hindi kahaniSEX STORY HINDI BAAP BETIMom ki chudi ki stories in hindiमादक कहानी बहनलड़की का बुर मारने का कहानीbahan ki gand chudai ki kahaniचाची को भैस बनाके चोदा की सेक्स कथामाँ को कंडोम लगाकर खेत मे चोदा कहानी अन्तर्वासनाBahan bhai se chudi khanBhai bhan ki sexy kahaniGori gaand chati storyचाची को चोद ने की नाई कहनि भेजोचुत की कहनी/indian-sex-stories/naya-gaon-basaya/sex story in hi di/family-sex-stories/chhoti-bahan-ko-choda-2/देशी औरत कि चुदाई कि कहानीतारक मेहता का उलटा चशमा मे चुदाई की कहानीsex story hindi tmkocbhai bahan ki saxsi khani